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हिंदी कहानियां - भाग 26

मुल्ला नसरुद्दीन ने कई सालों से एक गधा पाला हुआ था. एक दिन उसके एक पड़ोसी को मजाक सूझा और वह मुल्ला के पास पहुँचा.


उसने मुल्ला से कहा, “मुल्ला, तुम्हारे पास तो ये गधा कई सालों से है. मुझे यकीन है कि अब तुम इसकी भाषा अच्छी तरह समझने लगे होगे. जब इसे भूख लगती है, तो ये तुम्हें कैसे बताता है?’

मुल्ला ने जवाब दिया, “कुछ नहीं, ये मेरे पास आता है और मुझे छूता है. मैं समझ जाता हूँ कि इसे भूख लगी है और मैं इसे थोड़ी घास खिला देता हूँ.”

“अच्छा, लेकिन तुम्हें पता कैसे चलता है कि तुम्हारा गधा उदास है.” पड़ोसी ने फिर से एक सवाल पूछा.

“उदास होने पर ये जोर से रेंकता है.” मुल्ला ने जवाब दिया.

ठीक उसी समय मुल्ला का गधा रेंकने लगा. ये देख पड़ोसी ने व्यंग्य करते हुए पूछा, “मुल्ला ये तो बताओ कि तुम्हारा गधा अभी उदास क्यों है?”

“मेरे गधा दुखी है कि मैंने उसे अकेला क्यों छोड़ दिया और पूछ रहा है कि मैं दूसरे गधे से क्यों बातें कर रहा हूँ.” मुल्ला ने जवाब दिया.

यह सुन पड़ोसी का चेहरा उतर गया और उसे वहाँ से खिसक जाना ही मुनासिब लगा.

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